घर के कमरों से करती हूं बाते तेरी
किससे सुनकर पुराने हस पड़ती हूं तेरे
तेरी तस्वीरो में खुद को देखती हूं
सच कहते है सब मुझसी दिखती हैं तू
रंगो से भरा तेरा आसमान लगता है
मेरी दुआओं सा लगता है
हैरान हूं जान कर
कैसे यादों को आंखों में छिपा लेती है
जो रो कर विदा करी थी कल
आज मुझको दूर रह कर हसा देती है
विदाई रस्म ही ऐसी है कि
तेरे आने का इंत़ार नहीं कर सकती
पर ताले बदले नहीं है मैने
सोचकर कि तेरे पास घर की चाबी है
किससे सुनकर पुराने हस पड़ती हूं तेरे
तेरी तस्वीरो में खुद को देखती हूं
सच कहते है सब मुझसी दिखती हैं तू
रंगो से भरा तेरा आसमान लगता है
मेरी दुआओं सा लगता है
हैरान हूं जान कर
कैसे यादों को आंखों में छिपा लेती है
जो रो कर विदा करी थी कल
आज मुझको दूर रह कर हसा देती है
विदाई रस्म ही ऐसी है कि
तेरे आने का इंत़ार नहीं कर सकती
पर ताले बदले नहीं है मैने
सोचकर कि तेरे पास घर की चाबी है
Very nice miss
ReplyDeleteThank you
DeleteAmazing :)
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